कीत गयो जादु करके नो पीया॥ध्रु०॥ नंदनंदन पीया कपट जो कीनो। नीकल गयो छल करके॥1॥ मोर मुगुट पितांबर शोभे। कबु ना मीले आंग भरके॥2॥ मीरा दासी शरण जो आई। चरणकमल चित्त धरके॥3॥