कान्हा कानरीया पेहरीरे॥ध्रु.॥ जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे। खेल खेलकी गत न्यारीरे॥1॥ खेल खेलते अकेले रहता। भक्तनकी भीड भारीरे॥2॥ बीखको प्यालो पीयो हमने। तुह्मारो बीख लहरीरे॥3॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरण कमल बलिहारीरे॥4॥