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{{चित्र सूचना | |||
|विवरण=महाकवि [[सूरदास]] | |||
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|दिनांक=वर्ष - 2010 | |||
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|अन्य विवरण=हिन्दी साहित्य में भक्तिकाल में [[कृष्ण]] भक्ति के भक्त कवियों में महाकवि सूरदास का नाम अग्रणी है। उनका जन्म 1478 ईस्वी में [[मथुरा]] [[आगरा]] मार्ग पर स्थित [[रुनकता]] नामक गांव में हुआ था। | |||
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चित्र का उपयोग
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- अंखियां हरि-दरसन की भूखी -सूरदास
- अंखियां हरि–दरसन की प्यासी -सूरदास
- अजहूँ चेति अचेत -सूरदास
- अब कै माधव, मोहिं उधारि -सूरदास
- अब मैं नाच्यौ बहुत गुपाल -सूरदास
- अब या तनुहिं राखि कहा कीजै -सूरदास
- अब हों नाच्यौ बहुत गोपाल -सूरदास
- अबिगत गति कछु कहति न आवै -सूरदास
- अष्टछाप कवि
- आई छाक बुलाये स्याम -सूरदास
- आछो गात अकारथ गार्यो -सूरदास
- आजु मैं गाई चरावन जैहों -सूरदास
- आजु हौं एक एक करि टरिहौं -सूरदास
- आनि सँजोग परै -सूरदास
- उधो, मन नाहीं दस बीस -सूरदास
- उपमा हरि तनु देखि लजानी -सूरदास
- ऊधो, मन माने की बात -सूरदास
- ऊधो, मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं -सूरदास
- ऊधो, होहु इहां तैं न्यारे -सूरदास
- ऎसी प्रीति की बलि जाऊं -सूरदास
- एक व्यक्तित्व
- ऐसैं मोहिं और कौन पहिंचानै -सूरदास
- कब तुम मोसो पतित उधारो -सूरदास
- कहां लौं बरनौं सुंदरताई -सूरदास
- कहावत ऐसे दानी दानि -सूरदास
- कहियौ, नंद कठोर भये -सूरदास
- कहियौ जसुमति की आसीस -सूरदास
- कीजै प्रभु अपने बिरद की लाज -सूरदास
- खेलत नंद-आंगन गोविन्द -सूरदास
- गिरि जनि गिरै स्याम के कर तैं -सूरदास
- गोपी
- चरन कमल बंदौ हरि राई -सूरदास
- चरन कमल बंदौ हरिराई -सूरदास
- जनम अकारथ खोइसि -सूरदास
- जसुमति दौरि लिये हरि कनियां -सूरदास
- जसोदा, तेरो भलो हियो है माई -सूरदास
- जागिए ब्रजराज कुंवर -सूरदास
- जापर दीनानाथ ढरै -सूरदास
- जो पै हरिहिंन शस्त्र गहाऊं -सूरदास
- जोग ठगौरी ब्रज न बिकहै -सूरदास
- जौ बिधिना अपबस करि पाऊं -सूरदास
- जौलौ सत्य स्वरूप न सूझत -सूरदास
- तजौ मन, हरि-बिमुखनि को संग -सूरदास
- तबतें बहुरि न कोऊ आयौ -सूरदास
- तिहारो दरस मोहे भावे -सूरदास
- दियौ अभय पद ठाऊँ -सूरदास
- दृढ इन चरण कैरो भरोसो -सूरदास
- धोखैं ही धोखैं डहकायौ -सूरदास
- नटवर वेष काछे स्याम -सूरदास
- नाथ, अनाथन की सुधि लीजै -सूरदास
- निरगुन कौन देश कौ बासी -सूरदास
- निसिदिन बरसत नैन हमारे -सूरदास
- नीके रहियौ जसुमति मैया -सूरदास
- नैन भये बोहित के काग -सूरदास
- प्रभु, मेरे औगुन चित न धरौ -सूरदास
- प्रभु, मेरे औगुन न विचारौ -सूरदास
- प्रीति करि काहु सुख न लह्यो -सूरदास
- प्रीति करि काहू सुख न लह्यो -सूरदास
- फिर फिर कहा सिखावत बात -सूरदास
- बदन मनोहर गात -सूरदास
- बिनु गोपाल बैरिन भई कुंजैं -सूरदास
- बृथा सु जन्म गंवैहैं -सूरदास
- भजु मन चरन संकट-हरन -सूरदास
- भाव भगति है जाकें -सूरदास
- भोरहि सहचरि कातर दिठि -सूरदास
- मधुकर! स्याम हमारे चोर -सूरदास
- मन तोसों कोटिक बार कहीं -सूरदास
- मन धन-धाम धरे -सूरदास
- माधव कत तोर करब बड़ाई -सूरदास
- माधवजू, जो जन तैं बिगरै -सूरदास
- मेरी माई, हठी बालगोबिन्दा -सूरदास
- मेरो कान्ह कमलदललोचन -सूरदास
- मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे -सूरदास
- मेरो मन अनत कहां सचु पावै -सूरदास
- मो परतिग्या रहै कि जाउ -सूरदास
- मोहन केसे हो तुम दानी -सूरदास
- मोहिं प्रभु, तुमसों होड़ परी -सूरदास
- रतन-सौं जनम गँवायौ -सूरदास
- रस
- राखी बांधत जसोदा मैया -सूरदास
- राखौ लाज मुरारी -सूरदास
- रानी तेरो चिरजीयो गोपाल -सूरदास
- रे मन, राम सों करि हेत -सूरदास
- रे मन मूरख, जनम गँवायौ -सूरदास
- वा पटपीत की फहरानि -सूरदास
- वृच्छन से मत ले -सूरदास
- व्रजमंडल आनंद भयो -सूरदास
- संदेसो दैवकी सों कहियौ -सूरदास
- सकल सुख के कारन -सूरदास
- सबसे ऊँची प्रेम सगाई -सूरदास
- सरन गये को को न उबार्यो -सूरदास
- साहित्य लहरी
- सूरदास
- सूरसागर -सूरदास
- सोइ रसना जो हरिगुन गावै -सूरदास
- सोभित कर नवनीत लिए -सूरदास
- हम भगतनि के भगत हमारे -सूरदास
- हमारे प्रभु, औगुन चित न धरौ -सूरदास
- हरि, तुम क्यों न हमारैं आये -सूरदास
- हरि हरि हरि सुमिरन करौ -सूरदास
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