मेरी माई, हठी बालगोबिन्दा। अपने कर गहि[1] गगन बतावत, खेलन कों मांगै चंदा॥ बासन[2] के जल धर्यौ, जसोदा हरि कों आनि दिखावै। रुदन करत ढ़ूढ़ै नहिं पावत,धरनि चंद क्यों आवै॥ दूध दही पकवान मिठाई, जो कछु मांगु मेरे छौना।[3] भौंरा[4] चकरी लाल पाट[5] कौ, लेडुवा[6] मांगु खिलौना॥ जोइ जोइ मांगु सोइ-सोइ दूंगी, बिरुझै क्यों[7] नंद नंदा। सूरदास, बलि जाइ जसोमति मति मांगे यह चंदा॥