राखी बांधत जसोदा मैया । विविध सिंगार किये पटभूषण, पुनि पुनि लेत बलैया ॥ हाथन लीये थार मुदित मन, कुमकुम अक्षत मांझ धरैया। तिलक करत आरती उतारत अति हरख हरख मन भैया ॥ बदन चूमि चुचकारत अतिहि भरि भरि धरे पकवान मिठैया । नाना भांत भोग आगे धर, कहत लेहु दोउ मैया॥ नरनारी सब आय मिली तहां निरखत नंद ललैया । सूरदास गिरिधर चिर जीयो गोकुल बजत बधैया ॥