शरीरवाङ्नोभिर्यत्कर्म प्रारभते नर: । न्याय्यं वा विपरीतं वा पञ्चैते तस्य हेतव: ।।15।।
मनुष्य मन, वाणी और शरीर से शास्त्रानुकूल अथवा विपरीत जो कुछ भी कर्म करता है- उसके ये पाँचों कारण हैं ।।15।।
These five are the contributory causes of whatever actions, right or wrong man performs with the mind, speech and body. (15)
नर: = मनुष्य ; शरीरबाग्डनोभि: = मन, बाणी और शरीर से ; न्याय्यम् = शास्त्र के अनुसार ; वा = अथवा ; विपरीतम् = विपरीत ; वा = भी ; यत् = जो (कुछ) ; कर्म = कर्म ; प्रारभते = आरम्भ करता है ; तस्य = उसके ; एते = यह ; पच्च = पांचों (ही) ; हेतव: = कारण हैं ;