हे पुरुष श्रेष्ठ अर्जुन[1] ! सन्न्यास और त्याग, इन दोनों में से पहले त्याग के विषय में मेरा निश्चय सुन। क्योंकि त्याग सात्त्विक, राजस और तामस भेद से तीन प्रकार का कहा गया है ।।4।।
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Of Samnyasa and Tyaga, first hear My conclusion on the subject of Tyaga, O tiger among men Arjuna, for Tyaga, has been declared to be of three kinds—Sattvika Rajasika and Tamasika.(4)
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