हे भारत[1] ! तू सब प्रकार से उस परमेश्वर की ही शरण में जा। उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शान्ति को तथा सनातन परम धाम को प्राप्त होगा ।।62।।
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Take shelter in Him alone, with all your being, Arjuna. By His mere grace you shall attain supreme peace and the eternal state. (62)
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