हे पार्थ[1] ! दुष्ट बुद्धिवाला मनुष्य जिस धारणशक्ति के द्वारा निद्रा, भय, चिन्ता और दु:ख को तथा उन्मत्तता को भी नहीं छोड़ता अर्थात् धारण किये रहता है, वह धारणशक्ति तामसी है ।।35।।
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The firmness by which an evil-minded person refuses to shake off, i.e., clings to sleep, fear, anxiety, sorrow and vanity as well, that firmness is ignorance (Tamasika). (35)
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