हे राजन् ! जहाँ योगेश्वर भगवान् श्रीकृष्ण[4] हैं और जहाँ गाण्डीव-धनुषधारी अर्जुन[5] हैं, वहीं पर श्री, विजय, विभूति और अचल नीति है- ऐसा मेरा मत है ।।78।।
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Wherever there is Bhagavan Shri Krishna, the Lord of Yoga, and wherever there is Arjuna, The wielder of the Gandiva bow, goodness, victory, glory and unfailing righteousness are there, such is my conviction. (78)
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