किन्तु जो ज्ञान अर्थात् जिस ज्ञान के द्वारा मनुष्य सम्पूर्ण भूतों में भिन्न-भिन्न प्रकार के नाना भावों को अलग-अलग जानता है, उस ज्ञान को तू राजस जान ।।21।।
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That, however, by which man cognize many existences of various kinds as apart from one another in all beings, know that knowledge to be passion (Rajasika).(21)
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