तुझे यह गीता रूप रहस्यमय उपदेश किसी भी काल में न तो तपरहित मनुष्य से कहना चाहिये, न भक्तिरहित और न बिना सुनने की इच्छा वाले से ही कहना चाहिये; तथा जो मुझमें दोष दृष्टि रखता है उससे भी नहीं कहना चाहिये ।।67।।
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This secret gospel of the Gita should never be imparted to a man who lacks penance, nor to him who is wanting in devotion, nor even to him who lends not a willing ear; and in no case to him who finds fault with Me. (67)
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