"गीता 18:63": अवतरणों में अंतर
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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इस प्रकार < | इस प्रकार [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> को अन्तर्यामी परमेश्वर की शरण ग्रहण करने के लिये आज्ञा देकर अब भगवान् उक्त उपदेश का उपसंहार करते हुए कहते हैं- | ||
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इस प्रकार यह गोपनीय से भी अति गोपनीय ज्ञान मैंने तुझसे कह | इस प्रकार यह गोपनीय से भी अति गोपनीय ज्ञान मैंने तुझसे कह दिया। अब तू इस रहस्य युक्त ज्ञान को पूर्णतया भलीभाँति विचार कर, जैसे चाहता है वैसे ही कर ।।63।। | ||
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Thus has this wisdom, more secret than secrecy itself, been imparted to you by Me. Fully pondering it, do as you like. (63) | Thus has this wisdom, more secret than secrecy itself, been imparted to you by Me. Fully pondering it, do as you like. (63) | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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06:46, 7 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-63 / Gita Chapter-18 Verse-63
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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