"गीता 18:48": अवतरणों में अंतर
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अतएव हे < | अतएव हे [[कुन्ती]]<ref>ये [[वसुदेव|वसुदेवजी]] की बहन और भगवान [[श्रीकृष्ण]] की बुआ थीं। [[महाभारत]] में महाराज [[पाण्डु]] की ये पत्नी थीं।</ref> पुत्र ! दोष युक्त होने पर भी सहज कर्म को नहीं त्यागना चाहिये, क्योंकि धूएँ से [[अग्नि देव|अग्नि]]<ref>अग्नि देवता [[यज्ञ]] के प्रधान अंग हैं। ये सर्वत्र [[प्रकाश]] करने वाले एवं सभी पुरुषार्थों को प्रदान करने वाले हैं।</ref> की भाँति सभी कर्म किसी न किसी दोष से आवृत हैं ।।48।। | ||
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06:34, 7 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-48 / Gita Chapter-18 Verse-48
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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