"गीता 18:73": अवतरणों में अंतर
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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इस प्रकार भगवान् के पूछने पर अब < | इस प्रकार भगवान् के पूछने पर अब [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> भगवान् से कृतज्ञता प्रकट करते हुए अपनी स्थिति का वर्णन करते हैं- | ||
'''अर्जुन उवाच-''' | '''अर्जुन उवाच-''' | ||
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'''अर्जुन बोले-''' | '''अर्जुन बोले-''' | ||
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हे < | हे [[अच्युत]]<ref>मधुसूदन, अच्युत, केशव, पुरुषोत्तम, वासुदेव, माधव, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् [[कृष्ण]] का ही सम्बोधन है।</ref> ! आपकी कृपा से मेरा मोह नष्ट हो गया और मैंने स्मृति प्राप्त कर ली है, अब मैं संशयरहित होकर स्थित हूँ, अत: आपकी आज्ञा का पालन करूँगा ।।73।। | ||
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च्युत = हे अच्युत ; त्वत्प्रसादात् = आपकी कृपा से ; मम = मेरा ; मोह: = मोह ; नष्ट: = नष्ट हो गया हे (और) ; मया = मुझे ; स्मृति: = स्मृति ; लब्धा = प्राप्त हुई है (इसलिये मैं) ; गतसन्देह: = संशयरहित हुआ ; स्थित: = स्थित ; अस्मि = हूं (और) ; तव = आपकी ; वचनम् = आज्ञा ; करिष्ये = पालन करूंगा | च्युत = हे [[अच्युत]] ; त्वत्प्रसादात् = आपकी कृपा से ; मम = मेरा ; मोह: = मोह ; नष्ट: = नष्ट हो गया हे (और) ; मया = मुझे ; स्मृति: = स्मृति ; लब्धा = प्राप्त हुई है (इसलिये मैं) ; गतसन्देह: = संशयरहित हुआ ; स्थित: = स्थित ; अस्मि = हूं (और) ; तव = आपकी ; वचनम् = आज्ञा ; करिष्ये = पालन करूंगा | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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07:33, 7 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-73 / Gita Chapter-18 Verse-73
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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