"गीता 18:22": अवतरणों में अंतर
छो (Text replace - '<td> {{गीता अध्याय}} </td>' to '<td> {{गीता अध्याय}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>') |
No edit summary |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
<table class="gita" width="100%" align="left"> | <table class="gita" width="100%" align="left"> | ||
<tr> | <tr> | ||
पंक्ति 22: | पंक्ति 21: | ||
|- | |- | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
परन्तु जो ज्ञान एक कार्य रूप शरीर में ही सम्पूर्ण के सदृश आसक्त है; तथा उसे बिना युक्ति वाला, तात्त्विक अर्थ से रहित और तुच्छ है, वह तामस कहा गया है ।।22।। | |||
परन्तु जो ज्ञान एक कार्य रूप शरीर में ही सम्पूर्ण के सदृश आसक्त है; तथा उसे बिना युक्ति वाला, तात्त्विक अर्थ से रहित और तुच्छ है, वह तामस कहा गया है ।।22।। | |||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
पंक्ति 58: | पंक्ति 55: | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
{{ | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{गीता2}} | |||
</td> | </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
{{ | {{महाभारत}} | ||
</td> | </td> | ||
</tr> | </tr> |
05:35, 7 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-22 / Gita Chapter-18 Verse-22
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
||||