"गीता 18:66": अवतरणों में अंतर
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सम्पूर्ण धर्मों को अर्थात् सम्पूर्ण कर्तव्य कर्मों को मुझमें त्याग कर तू केवल एक मुझ सर्वशक्तिमान, सर्वाधार परमेश्वर की ही शरण में आ | सम्पूर्ण [[धर्म|धर्मों]] को अर्थात् सम्पूर्ण कर्तव्य कर्मों को मुझमें त्याग कर तू केवल एक मुझ सर्वशक्तिमान, सर्वाधार परमेश्वर की ही शरण में आ जा। मैं तुझे सम्पूर्ण पापों से मुक्त कर दूँगा, तू शोक मत कर ।।66।। | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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07:00, 7 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-66 / Gita Chapter-18 Verse-66
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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