"गीता 18:68": अवतरणों में अंतर
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इस प्रकार गीतोक्त उपदेश के अनधिकारी के लक्षण बतलाकर अब भगवान् दो श्लोकों द्वारा अपने भक्तों में इस उपदेश के वर्णन का फल और माहात्म्य बतलाते हैं- | इस प्रकार गीतोक्त उपदेश के अनधिकारी के लक्षण बतलाकर अब भगवान् दो [[श्लोक|श्लोकों]] द्वारा अपने [[भक्त|भक्तों]] में इस उपदेश के वर्णन का फल और माहात्म्य बतलाते हैं- | ||
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जो पुरुष मुझमें परम प्रेम करके इस परम रहस्य युक्त गीताशास्त्र को मेरे भक्तों में कहेगा, वह मुझको ही प्राप्त होगा- इसमें कोई सन्देह | जो पुरुष मुझमें परम प्रेम करके इस परम रहस्य युक्त गीताशास्त्र को मेरे भक्तों में कहेगा, वह मुझको ही प्राप्त होगा- इसमें कोई सन्देह नहीं है ।।68।। | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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07:02, 7 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-68 / Gita Chapter-18 Verse-68
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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