"गीता 18:72": अवतरणों में अंतर
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इस प्रकार गीताशास्त्र के कथन, पठन और श्रवण का माहात्म्य बतलाकर अब भगवान् स्वयं सब कुछ जानते हुए भी < | इस प्रकार गीताशास्त्र के कथन, पठन और श्रवण का माहात्म्य बतलाकर अब भगवान् स्वयं सब कुछ जानते हुए भी [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> को सचेत करने के लिये उससे उसकी स्थिति पूछते हैं- | ||
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हे < | हे पार्थ<ref>पार्थ, भारत, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी [[अर्जुन]] के सम्बोधन है।</ref> ! क्या इस (गीताशास्त्र) को तूने एकाग्रचित्त से श्रवण किया ? और हे धनंजय<ref>पार्थ, भारत, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी [[अर्जुन]] के सम्बोधन है।</ref> ! क्या तेरा अज्ञान जनित मोह नष्ट हो गया? ।।72।। | ||
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Have you heard this gospel of the Gita with one-pointed mind, Arjuna ? And has your delusion born of ignorance melted away, O conquerer of riches.(72) | Have you heard this gospel of the Gita with one-pointed mind, Arjuna ? And has your delusion born of ignorance melted away, O conquerer of riches.(72) | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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07:10, 7 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-72 / Gita Chapter-18 Verse-72
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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