"गीता 18:74": अवतरणों में अंतर
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इस प्रकार धृतराष्ट्र के प्रश्नानुसार भगवान् < | इस प्रकार [[धृतराष्ट्र]]<ref>धृतराष्ट्र [[पाण्डु]] के बड़े भाई थे। [[गाँधारी]] इनकी पत्नी थी और [[कौरव]] इनके पुत्र। ये पाण्डु के बाद [[हस्तिनापुर]] के राजा बने थे।</ref> के प्रश्नानुसार भगवान् [[श्रीकृष्ण]]<ref>'गीता' कृष्ण द्वारा [[अर्जुन]] को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान [[विष्णु]] के [[अवतार]] माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे [[भारत]] में किसी न किसी रूप में की जाती है।</ref> और [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> के संवाद रूप गीताशास्त्र का वर्णन करके अब उसका उपसंहार करते हुए [[संजय]]<ref>संजय [[धृतराष्ट्र]] की राजसभा का सम्मानित सदस्य था। जाति से वह बुनकर था। वह विनम्र और धार्मिक स्वभाव का था और स्पष्टवादिता के लिए प्रसिद्ध था। वह राजा को समय-समय पर सलाह देता रहता था।</ref> दो [[श्लोक|श्लोकों]] में धृतराष्ट्र के सामने गीता का महत्त्व प्रकट करते हैं- | ||
'''संजय उवाच''' | '''संजय उवाच''' | ||
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'''संजय बोले-''' | '''संजय बोले-''' | ||
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इस प्रकार मैंने श्री< | इस प्रकार मैंने श्री [[वासुदेव (कुषाण)|वासुदेव]]<ref>मधुसूदन, केशव, पुरुषोत्तम, वासुदेव, माधव, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् [[कृष्ण]] का ही सम्बोधन है।</ref> के और महात्मा अर्जुन के इस अद्भुत रहस्ययुक्त, रोमाञ्चकारक संवाद को सुना ।।74।। | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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07:18, 7 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-74 / Gita Chapter-18 Verse-74
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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