"गीता 18:76": अवतरणों में अंतर
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इस प्रकार अतिदुर्लभ गीताशास्त्र के सुनने के महत्त्व को प्रकट करके अब < | इस प्रकार अतिदुर्लभ गीताशास्त्र के सुनने के महत्त्व को प्रकट करके अब [[संजय]]<ref>संजय [[धृतराष्ट्र]] की राजसभा का सम्मानित सदस्य था। जाति से वह बुनकर था। वह विनम्र और धार्मिक स्वभाव का था और स्पष्टवादिता के लिए प्रसिद्ध था। वह राजा को समय-समय पर सलाह देता रहता था।</ref> अपनी स्थिति का वर्णन करते हुए उस उपदेश की स्मृति का महत्त्व प्रकट करते हैं- | ||
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हे राजन् ! भगवान् < | हे राजन् ! भगवान् [[श्रीकृष्ण]]<ref>'गीता' कृष्ण द्वारा [[अर्जुन]] को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान [[विष्णु]] के [[अवतार]] माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे [[भारत]] में किसी न किसी रूप में की जाती है।</ref> और [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> के इस रहस्ययुक्त, कल्याणकारक और अद्भुत संवाद को पुन:-पुन: स्मरण करके मैं बार-बार हर्षित हो रहा हूँ ।।76।। | ||
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Remembering, over and over, that sacred and mystic conversation between Bhagavan Sri Krishna and Arjuna, O King! I rejoice again and yet again.(76) | Remembering, over and over, that sacred and mystic conversation between Bhagavan Sri Krishna and Arjuna, O King! I rejoice again and yet again.(76) | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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07:26, 7 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-76 / Gita Chapter-18 Verse-76
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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