"गीता 18:30": अवतरणों में अंतर
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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पूर्व [[श्लोक]] में जो बुद्धि और धृति के सात्त्विक, राजस और तामस तीन-तीन भेद क्रमश: बतलाने की प्रस्तावना की है, उसके अनुसार पहले सात्त्विक बुद्धि के लक्षण बतलाते हैं- | |||
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हे < | हे पार्थ<ref>पार्थ, भारत, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है।</ref> ! जो बुद्धि प्रवृत्ति मार्ग और निवृति मार्ग को, कर्तव्य और अकर्तव्य को, भय और अभय को तथा बन्धन और मोक्ष को यथार्थ जानती है, वह बुद्धि सात्त्विकी है ।।30।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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14:00, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-30 / Gita Chapter-18 Verse-30
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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