"गीता 18:57": अवतरणों में अंतर
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इस प्रकार भक्ति प्रधान कर्मयोगी की महिमा का वर्णन करके अब < | इस प्रकार [[भक्ति]] प्रधान कर्मयोगी की महिमा का वर्णन करके अब [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> को वैसा बनने के लिये आज्ञा देते हैं- | ||
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06:33, 7 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-57 / Gita Chapter-18 Verse-57
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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