"गीता 18:25": अवतरणों में अंतर
छो (Text replace - '<td> {{गीता अध्याय}} </td>' to '<td> {{गीता अध्याय}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>') |
No edit summary |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
<table class="gita" width="100%" align="left"> | <table class="gita" width="100%" align="left"> | ||
<tr> | <tr> | ||
पंक्ति 12: | पंक्ति 11: | ||
---- | ---- | ||
<div align="center"> | <div align="center"> | ||
'''अनुबन्धं क्षयं हिंसामनवेक्ष्य च | '''अनुबन्धं क्षयं हिंसामनवेक्ष्य च पौरुषम् ।'''<br /> | ||
'''मोहादारभ्यते कर्म यत्तत्तामसमुच्यते ।।25।।''' | '''मोहादारभ्यते कर्म यत्तत्तामसमुच्यते ।।25।।''' | ||
</div> | </div> | ||
पंक्ति 34: | पंक्ति 33: | ||
|- | |- | ||
| style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | | style="width:100%;text-align:center; font-size:110%;padding:5px;" valign="top" | | ||
यत् = जो ; कर्म = कर्म ; अनुवन्धम् = परिणाम ; क्षयम् = हानि ; हिंसाम् = हिंसा ; च = और ; | यत् = जो ; कर्म = कर्म ; अनुवन्धम् = परिणाम ; क्षयम् = हानि ; हिंसाम् = हिंसा ; च = और ; पौरुषम् = सामर्थ्य को ; अनवेक्ष्य = न विचार कर ; मोहातृ = केवल अज्ञान से ; आरभ्यते = आरम्भ किया जाता है ; तत् = वह कर्म ; तामसम् = वह कर्म ; उच्यते ; कहा जाता है ; | ||
|- | |- | ||
|} | |} | ||
पंक्ति 58: | पंक्ति 57: | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
{{ | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{गीता2}} | |||
</td> | </td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
{{ | {{महाभारत}} | ||
</td> | </td> | ||
</tr> | </tr> |
05:37, 7 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-25 / Gita Chapter-18 Verse-25
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
||||