"गीता 18:29": अवतरणों में अंतर
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इस प्रकार तत्व ज्ञान में सहायक सात्त्विक भाव कों ग्रहण कराने के लिये और उसके विरोधी राजस-तामस भावों का त्याग कराने के लिये कर्म-प्रेरणा और कर्मसंग्रह में से ज्ञान, कर्म और कर्ता के सात्त्विक आदि तीन-तीन भेद क्रम से बतलाकर अब बुद्धि और धृति सात्त्विक, राजस, और तामस- इस प्रकार त्रिविध भेद क्रमश: बतलाने की प्रस्तावना करते हैं- | इस प्रकार [[तत्व]] ज्ञान में सहायक सात्त्विक भाव कों ग्रहण कराने के लिये और उसके विरोधी राजस-तामस भावों का त्याग कराने के लिये कर्म-प्रेरणा और कर्मसंग्रह में से ज्ञान, कर्म और कर्ता के सात्त्विक आदि तीन-तीन भेद क्रम से बतलाकर अब बुद्धि और धृति सात्त्विक, राजस, और तामस- इस प्रकार त्रिविध भेद क्रमश: बतलाने की प्रस्तावना करते हैं- | ||
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हे < | हे धनंजय<ref>पार्थ, भारत, धनंजय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, निष्पाप, महाबाहो सभी [[अर्जुन]] के सम्बोधन है।</ref> ! अब तू बुद्धि का और धृति का भी गुणों के अनुसार तीन प्रकार का भेद मेरे द्वारा सम्पूर्णता से विभागपूर्वक कहा जाने वाला सुन ।।29।। | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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05:44, 7 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-29 / Gita Chapter-18 Verse-29
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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