"गीता 18:43": अवतरणों में अंतर
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इस प्रकार ब्राह्मणों के स्वाभाविक कर्म बताकर अब क्षत्रियों के स्वाभाविक कर्म बतलाते हैं | इस प्रकार [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] के स्वाभाविक कर्म बताकर अब [[क्षत्रिय|क्षत्रियों]] के स्वाभाविक कर्म बतलाते हैं- | ||
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शौर्यम् = शूरवीरता ; तेज: = | शौर्यम् = शूरवीरता ; तेज: = तेज़ ; च = और ; युद्धे = युद्ध में ; अपि = भी ; अपलायनम् = न भागने का स्वभाव (एवं) ; दानम् = दान ; धृति: = धैर्य ; दाक्ष्यम् = चतुरता ; च = और ; ईश्र्वरभाव: = स्वामीभाव (ये सब) ; क्षात्रम् = क्षत्रिय के ; स्वभावजम् = स्वाभावकि ; कर्म = कर्म हैं ; | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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06:13, 7 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-43 / Gita Chapter-18 Verse-43
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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