"गीता 18:25": अवतरणों में अंतर
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'''अनुबन्धं क्षयं हिंसामनवेक्ष्य च | '''अनुबन्धं क्षयं हिंसामनवेक्ष्य च पौरुषम् ।'''<br /> | ||
'''मोहादारभ्यते कर्म यत्तत्तामसमुच्यते ।।25।।''' | '''मोहादारभ्यते कर्म यत्तत्तामसमुच्यते ।।25।।''' | ||
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यत् = जो ; कर्म = कर्म ; अनुवन्धम् = परिणाम ; क्षयम् = हानि ; हिंसाम् = हिंसा ; च = और ; | यत् = जो ; कर्म = कर्म ; अनुवन्धम् = परिणाम ; क्षयम् = हानि ; हिंसाम् = हिंसा ; च = और ; पौरुषम् = सामर्थ्य को ; अनवेक्ष्य = न विचार कर ; मोहातृ = केवल अज्ञान से ; आरभ्यते = आरम्भ किया जाता है ; तत् = वह कर्म ; तामसम् = वह कर्म ; उच्यते ; कहा जाता है ; | ||
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08:02, 20 जुलाई 2011 का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-25 / Gita Chapter-18 Verse-25
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