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गीता अध्याय-18 श्लोक-28 / Gita Chapter-18 Verse-28

प्रसंग-


अब तामस कर्ता के लक्षण बतलाते हैं-


अयुक्त: प्राकृत: स्तब्ध: शठो नैष्कृतिकोऽलस: ।
विषादी दीर्घसूत्री च कर्ता तामस उच्यते ।।28।।



जो कर्ता अयुक्त, शिक्षा से रहित, घमंडी, धूर्त और दूसरों की जीविका का नाश करने वाला तथा शोक करने वाला, आलसी और दीर्घसूत्री है- वह तामस कहा जाता है ।।28।।

Lacking piety and self-control, uncultured, arrogant, deceitful, inclined to rob others of their livelihood, slothful, down-hearted and procrastinating, such a doer is called as ignorance (Tamasika).(28)


अयुक्त: = विक्षेपयुक्त चित्तवाला ; प्राकृत: = शिक्षा से रहित ; शठ: = धूर्त (और) ; नैष्कृतकि: = दूसरे की जाजीविकाका नाशक (एव) ; विषादी = शोक करने के स्वभाववाला ; अलस: = आलसी ; च = और ; दीर्घसूत्री = दीर्घसूत्री है (वह) ; कर्ता =कर्ता ; तामस: = तामस ; उच्यते = कहा जाता है ;



अध्याय अठारह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-18

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36, 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51, 52, 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)