"गीता 18:42": अवतरणों में अंतर
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अन्तकरण का निग्रह करना; [[इन्द्रियाँ]] का दमन करना; धर्मपालन के लिये कष्ट सहना; बाहर-भीतर से शुद्ध रहना, दूसरों के अपराधों को क्षमा करना; मन, इन्द्रिय और शरीर को सरल रखना; <balloon link="वेद" title="वेद हिन्दू धर्म के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">वेद</balloon>, शास्त्र, ईश्वर और परलोक आदि में श्रद्धा रखना; वेद शास्त्रों का अध्ययन-अध्यापन करना और परमात्मा के | अन्तकरण का निग्रह करना; [[इन्द्रियाँ]] का दमन करना; धर्मपालन के लिये कष्ट सहना; बाहर-भीतर से शुद्ध रहना, दूसरों के अपराधों को क्षमा करना; मन, इन्द्रिय और शरीर को सरल रखना; <balloon link="वेद" title="वेद हिन्दू धर्म के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">वेद</balloon>, शास्त्र, ईश्वर और परलोक आदि में श्रद्धा रखना; वेद शास्त्रों का अध्ययन-अध्यापन करना और परमात्मा के तत्त्व का अनुभव करना ये सब के सब ही ब्राह्मण के स्वाभाविक कर्म हैं ।।42।। | ||
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06:59, 17 जनवरी 2011 का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-42 / Gita Chapter-18 Verse-42
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