"गीता 18:54": अवतरणों में अंतर
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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इस प्रकार अंग-प्रत्यंगों सहित | इस प्रकार अंग-प्रत्यंगों सहित सन्न्यास का यानी सांख्ययोग स्वरूप बतलाकर अब उस साधन द्वारा ब्रह्मभाव को प्राप्त हुए योगी के लक्षण और उसे ज्ञानयोग की परानिष्ठा रूप परा [[भक्ति]] का प्राप्त होना बतलाते हैं- | ||
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13:53, 2 मई 2015 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-54 / Gita Chapter-18 Verse-54
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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