श्री<balloon link="व्यास" title="भगवान व्यास भगवान नारायण के ही कलावतार थे। व्यास जी के पिता का नाम पाराशर ऋषि तथा माता का नाम सत्यवती था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">व्यास</balloon>जी की कृपा से दिव्य दृष्टि पाकर मैंने इस परम गोपनीय योग के <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> के प्रति कहते हुए स्वयं योगेश्वर भगवान् <balloon link="कृष्ण" title="गीता कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">श्रीकृष्ण</balloon> से प्रत्यक्ष सुना है ।।75।।
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Having been blessed with the divine vision by the grace of Sri Vyasa, I heard this supremely esoteric gospel from the Lord of Yoga, Sri Krishna Himself, imparting it to Arjuna before my very eyes. (75)
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