क्योंकि शरीरधारी किसी भी मनुष्य के द्वारा सम्पूर्णता से सब कर्मों का त्याग किया जाना शक्य नहीं है; इसलिये जो कर्म फल का त्यागी है, वही त्यागी है, यही कहा जाता है ।।11।।
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Since all actions cannot be given up in their entirety by anyone possessing a body, he alone who renounces the result of actions is called a man of renunciation.(11)
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