हे अर्जुन[1] ! जो तमोगुण से घिरी हुई बुद्धि अधर्म को भी 'यह धर्म है' ऐसा मान लेती है तथा इसी प्रकार अन्य सम्पूर्ण पदार्थों को भी विपरीत मान लेती है, वह बुद्धि तामसी है ।।32।।
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The intellect which imagines even irreligious to be religious, and sees all other things upside, down, wrapped in ignorance, that intellect is ignorance (Tamasika), Arjuna. (32)
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