श्री व्यासजी[1] की कृपा से दिव्य दृष्टि पाकर मैंने इस परम गोपनीय योग के अर्जुन[2] के प्रति कहते हुए स्वयं योगेश्वर भगवान् श्रीकृष्ण[3] से प्रत्यक्ष सुना है ।।75।।
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Having been blessed with the divine vision by the grace of Sri Vyasa, I heard this supremely esoteric gospel from the Lord of Yoga, Sri Krishna Himself, imparting it to Arjuna before my very eyes. (75)
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