(निषिद्ध और काम्य कर्मों का तो स्वरूप से त्याग करना उचित ही है) परंतु नियत कर्म का स्वरूप से त्याग उचित नहीं है। इसलिये मोह के कारण उसका त्याग कर देना तामस त्याग कहा गया है ।।7।।
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(Prohibited acts and those that are motivated by desire should no doubt be given up.) But it is not advisable to abandon a prescribed duty. Its abandonment through ignorance has been declared as Tamasika. (7)
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