"नाथ, अनाथन की सुधि लीजै -सूरदास": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रीति चौधरी (वार्ता | योगदान) ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " जगत " to " जगत् ") |
||
पंक्ति 36: | पंक्ति 36: | ||
नैन नीर-धारा बाढ़ी अति ब्रज किन कर गहि लीजै। | नैन नीर-धारा बाढ़ी अति ब्रज किन कर गहि लीजै। | ||
इतनी बिनती सुनहु हमारी, बारक तो<ref>एक बार तो।</ref> पतियां लिखि दीजै॥ | इतनी बिनती सुनहु हमारी, बारक तो<ref>एक बार तो।</ref> पतियां लिखि दीजै॥ | ||
चरन कमल-दरसन नवनौका<ref>दर्शन रूपी नई नाव।</ref> करुनासिन्धु | चरन कमल-दरसन नवनौका<ref>दर्शन रूपी नई नाव।</ref> करुनासिन्धु जगत् जसु लीजै। | ||
सूरदास प्रभु आस मिलन की एक बार आवन ब्रज कीजै॥ | सूरदास प्रभु आस मिलन की एक बार आवन ब्रज कीजै॥ | ||
13:54, 30 जून 2017 के समय का अवतरण
![]() |
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
| ||||||||||||||||||||
|
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |