"सरन गये को को न उबार्यो -सूरदास": अवतरणों में अंतर
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सरन गये को को न उबार्यौ।<ref>रक्षा की</ref> | सरन गये को को न उबार्यौ।<ref>रक्षा की</ref> | ||
जब जब भीर<ref>संकट</ref> परीं संतति पै, चक्र सुदरसन तहां संभार्यौ।<ref>हाथ में लिया</ref> | जब जब भीर<ref>संकट</ref> परीं संतति पै, चक्र सुदरसन तहां संभार्यौ।<ref>हाथ में लिया</ref> | ||
महाप्रसाद भयौ अंबरीष<ref>एक हरि भक्त राजा</ref> कों, दुरवासा<ref>दुर्वासा नामके एक | महाप्रसाद भयौ अंबरीष<ref>एक हरि भक्त राजा</ref> कों, दुरवासा<ref>दुर्वासा नामके एक महान् क्रोधी ऋषि</ref> को क्रोध निवार्यो॥ | ||
ग्वालिन हैत धर्यौ गोवर्धन, प्रगट इन्द्र कौ गर्व प्रहार्यौ॥<ref>नष्ट किया</ref> | ग्वालिन हैत धर्यौ गोवर्धन, प्रगट इन्द्र कौ गर्व प्रहार्यौ॥<ref>नष्ट किया</ref> | ||
कृपा करी प्रहलाद भक्त पै, खम्भ फारि हिरनाकुस मार्यौ। | कृपा करी प्रहलाद भक्त पै, खम्भ फारि हिरनाकुस मार्यौ। | ||
नरहरि<ref>नृसिंह</ref> रूप धर्यौ करुनाकर, छिनक माहिं उर नखनि<ref>नाखूनों से</ref> बिदार्यौ।<ref>चीर फाड़ डाला</ref> | नरहरि<ref>नृसिंह</ref> रूप धर्यौ करुनाकर, छिनक माहिं उर नखनि<ref>नाखूनों से</ref> बिदार्यौ।<ref>चीर फाड़ डाला</ref> | ||
ग्राह-ग्रसित गज कों जल बूड़त, नाम लेत वाकौ | ग्राह-ग्रसित गज कों जल बूड़त, नाम लेत वाकौ दु:ख टार्यौ॥ | ||
सूर स्याम बिनु और करै को, रंगभूमि<ref>सभा स्थल</ref> में कंस पछार्यौ॥ | सूर स्याम बिनु और करै को, रंगभूमि<ref>सभा स्थल</ref> में कंस पछार्यौ॥ | ||
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11:05, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
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सरन गये को को न उबार्यौ।[1] |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |