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जाकी कृपा पंगु गिरि लंघे,अंधे को सब कछु दरसाई ॥1॥
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघे,अंधे को सब कछु दरसाई ॥1॥
बहरो सुने मूक पुनि बोले,रंक चले सिर छत्र धराई ।
बहरो सुने मूक पुनि बोले,रंक चले सिर छत्र धराई ।
‘सूरदास’ स्वामी करुणामय, बारबार बंदौ तिहिं पाई ॥२॥  
‘सूरदास’ स्वामी करुणामय, बारबार बंदौ तिहिं पाई ॥2॥  
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चरन कमल बंदौ हरिराई -सूरदास
सूरदास
सूरदास
कवि महाकवि सूरदास
जन्म संवत 1535 वि.(सन 1478 ई.)
जन्म स्थान रुनकता
मृत्यु 1583 ई.
मृत्यु स्थान पारसौली
मुख्य रचनाएँ सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य-लहरी, नल-दमयन्ती, ब्याहलो
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सूरदास की रचनाएँ

चरन कमल बंदौ हरिराई ।
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघे,अंधे को सब कछु दरसाई ॥1॥
बहरो सुने मूक पुनि बोले,रंक चले सिर छत्र धराई ।
‘सूरदास’ स्वामी करुणामय, बारबार बंदौ तिहिं पाई ॥2॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ


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