"ऊधो, हम लायक सिख दीजै -सूरदास": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "लायक " to "लायक़ ") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "संन्यास" to "सन्न्यास") |
||
पंक्ति 35: | पंक्ति 35: | ||
यह उपदेस अगिनि तै तातो,<ref>गरम।</ref> कहो कौन बिधि कीजै॥ | यह उपदेस अगिनि तै तातो,<ref>गरम।</ref> कहो कौन बिधि कीजै॥ | ||
तुमहीं कहौ, इहां इतननि में सीखनहारी को है। | तुमहीं कहौ, इहां इतननि में सीखनहारी को है। | ||
जोगी जती<ref>यति, | जोगी जती<ref>यति, सन्न्यासी।</ref> रहित माया तैं तिनहीं यह मत सोहै॥<ref>यह निर्गुणवाद शोभा देता है।</ref> | ||
कहा सुनत बिपरीत लोक में यह सब कोई कैहै।<ref>कहेगा।</ref> | कहा सुनत बिपरीत लोक में यह सब कोई कैहै।<ref>कहेगा।</ref> | ||
देखौ धौं अपने मन सब कोई तुमहीं दूषन दैहै॥ | देखौ धौं अपने मन सब कोई तुमहीं दूषन दैहै॥ |
13:53, 2 मई 2015 का अवतरण
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
| ||||||||||||||||||||
|
ऊधो, हम लायक़ सिख[1] दीजै। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |