"सरन गये को को न उबार्यो -सूरदास": अवतरणों में अंतर
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कृपा करी प्रहलाद भक्त पै, खम्भ फारि हिरनाकुस मार्यौ। | कृपा करी प्रहलाद भक्त पै, खम्भ फारि हिरनाकुस मार्यौ। | ||
नरहरि<ref>नृसिंह</ref> रूप धर्यौ करुनाकर, छिनक माहिं उर नखनि<ref>नाखूनों से</ref> बिदार्यौ।<ref>चीर फाड़ डाला</ref> | नरहरि<ref>नृसिंह</ref> रूप धर्यौ करुनाकर, छिनक माहिं उर नखनि<ref>नाखूनों से</ref> बिदार्यौ।<ref>चीर फाड़ डाला</ref> | ||
ग्राह-ग्रसित गज कों जल बूड़त, नाम लेत वाकौ | ग्राह-ग्रसित गज कों जल बूड़त, नाम लेत वाकौ दु:ख टार्यौ॥ | ||
सूर स्याम बिनु और करै को, रंगभूमि<ref>सभा स्थल</ref> में कंस पछार्यौ॥ | सूर स्याम बिनु और करै को, रंगभूमि<ref>सभा स्थल</ref> में कंस पछार्यौ॥ | ||
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14:06, 2 जून 2017 का अवतरण
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सरन गये को को न उबार्यौ।[1] |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |