मेरो कान्ह कमलदललोचन -सूरदास

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रीति चौधरी (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:34, 2 मार्च 2012 का अवतरण ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
मेरो कान्ह कमलदललोचन -सूरदास
सूरदास
सूरदास
कवि महाकवि सूरदास
जन्म संवत 1535 वि.(सन 1478 ई.)
जन्म स्थान रुनकता
मृत्यु 1583 ई.
मृत्यु स्थान पारसौली
मुख्य रचनाएँ सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य-लहरी, नल-दमयन्ती, ब्याहलो
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सूरदास की रचनाएँ

मेरो कान्ह कमलदललोचन।[1]
अब की बेर बहुरि फिरि आवहु, कहा लगे जिय सोचन॥
यह लालसा होति हिय मेरे, बैठी देखति रैहौं॥[2]
गाइ चरावन कान्ह कुंवर सों भूलि न कबहूं कैहौं॥[3]
करत अन्याय[4] न कबहुं बरजिहौं,[5] अरु माखन की चोरी।
अपने जियत नैन भरि देखौं, हरि हलधर की जोरी॥[6]
एक बेर ह्वै जाहु यहां लौं, मेरे ललन कन्हैया।
चारि दिवसहीं पहुनई[7] कीजौ, तलफति तेरी मैया॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कमल पत्र के समान नेत्र हैं जिनके।
  2. रहूंगी।
  3. कहूंगी।
  4. उत्पात,ऊधम।
  5. रोकूंगी।
  6. जोड़ी।
  7. मेहमानी।

संबंधित लेख