"हमारे प्रभु, औगुन चित न धरौ -सूरदास" के अवतरणों में अंतर
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सो दुबिधा पारस नहिं जानत, कंचन करत खरौ॥ | सो दुबिधा पारस नहिं जानत, कंचन करत खरौ॥ | ||
इक नदिया इक नार कहावत, मैलौ नीर भरौ। | इक नदिया इक नार कहावत, मैलौ नीर भरौ। | ||
− | जब मिलि गए तब एक- | + | जब मिलि गए तब एक-वरन् ह्वै, सुरसरि नाम परौ॥ |
तन माया, ज्यौ ब्रह्म कहावत, सूर सु मिलि बिगरौ। | तन माया, ज्यौ ब्रह्म कहावत, सूर सु मिलि बिगरौ। | ||
कै इनकौ निरधार कीजियै कै प्रन जात टरौ॥ | कै इनकौ निरधार कीजियै कै प्रन जात टरौ॥ |
07:40, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
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हमारे प्रभु, औगुन चित न धरौ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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