अगस्त्येश्वर पौराणिक धर्म ग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार नर्मदा क्षेत्र में स्थित एक तीर्थ स्थान था।[1] इस स्थान पर स्नान, दान तथा शिवलिंग की स्थापना कर उसको घृतस्नान कराने का बड़ा ही माहात्म्य कहा गया है।[2]
इन्हें भी देखें: अगस्त्यतीर्थ
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणाप्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 09 |
- ↑ मत्स्यपुराण 190.15-18