प्रमाणकोटि

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प्रमाणकोटि का उल्लेख महाभारत में हुआ है। इसकी स्थिति हस्तिनापुर के निकट मानी जाती है। यही वह स्थान है, जहाँ बचपन में पांडव और कौरव जल विहार के लिए गए थे और कौरवों ने भीमसेन को गंगा में डुबो दिया था, जिसके फलस्वरूप वे नागलोक जा पहुँचे थे।

  • प्रमाणकोटि महाभारत में उल्लिखित, गंगा तटवर्ती एक स्थान था-

'उदकक्रीडनं नाम कारयामास भारत, प्रमाणकोट्यां तं देशं स्थलंकिचिदुपेत्य ह'-[1]

  • प्रमाणकोटि का नाम सम्भवत: 'प्रमाण' नामक महावट के कारण हुआ था-

'निवृत्तेषु तु पौरेषु रथानास्थाय पांडवा: आजग्मुर्जाह्नवीतीरे प्रमाणाख्यं महावटम्'[2]

  • जान पड़ता है कि प्रमाणकोटि हस्तिनापुर के निकट ही गंगा तट पर कोई स्थान था, जहाँ हस्तिनापुर के निवासी सुविधापूर्वक जल विहार के लिए जा सकते थे।
  • महाभारत के अनुसार द्यूत में पराजित होकर पांडव जिस समय हस्तिनापुर से चले, तो उनके पीछे नगर निवासी भी कुछ दूर तक गए थे। उनको लौटा कर पहली रात पांडवों ने 'प्रमाणकोटि' नामक स्थान पर व्यतीत की थी। दूसरे दिन वह विप्रों के साथ काम्यकवन की ओर चले गए।[3]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 584 |

  1. महाभारत, आदिपर्व 127, 33.
  2. महाभारत वनपर्व 1, 41.
  3. महाभारत, वनपर्व, 3, 30.

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