साहस्त्रक का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। महाभारत वन पर्व के अनुसार यह कुरुक्षेत्र की सीमा के अन्तर्गत एक प्रसिद्ध तीर्थ का नाम था।
- इस तीर्थ में स्नान करने से सहस्त्र गोदान का फल प्राप्त होता है और जहाँ किये गये दान और उपवास का फल अन्यत्र किये गये दान और उपवास से हजार गुना अधिक होता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 520 |
- ↑ महाभारत वन पर्व 83.158-59
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