गोतीर्थ नामक पौराणिक स्थान का उल्लेख महाभारत के वनपर्व के अंतर्गत पांडवों की तीर्थ यात्रा के प्रसंग में है-
'कन्यातीर्थेऽश्वतार्थे च गवां तीर्थे च भारत कालकोट्यां वृषप्रस्थे गिरावुष्य च पांडवा:।'[1]
- 'अश्वतीर्थ' (कन्नौज के निकट) के पश्चात् इस स्थान का उल्लेख है। अत: यह तीर्थ संभवत: इसी स्थान के निकट रहा होगा।[2]
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