युगंधर नामक एक प्राचीन स्थान का उल्लेख महाभारत, वनपर्व में हुआ है-
'युगंधरे दधिप्राश्य उषित्वा चाच्युतस्थले तद्वद् भूतलये स्नात्वा सपुत्रावस्तुमर्हसि।'[1]
- पाणिनि की 'अष्टाध्यायी'[2] में भी युगंधर का नामोउल्लेख है।
- बी.सी. लाॅ के अनुसार दक्षिण पंजाब का जींद प्रदेश[3] ही युगंधर है, किंतु युगंधर को उपर्युक्त उद्धरण में दूषित स्थान बताया गया है।
- चि.वि. वैद्य इसे यमुना नदी के तट पर मानते हैं।[4]
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