शक्रावर्त एक पौराणिक तीर्थ स्थान। महाभारत, वनपर्व[1] में शक्रावर्त नामक तीर्थ का उल्लेख 'गंगाद्वार' या 'हरद्वार' के पश्चात् है-
'सप्तगंगे त्रिगंगे च शक्रावर्ते च तर्पयन् देवान् पितृश्चं विधिवत् पुण्यलोके महीयते।'
- संभवत: शक्रावर्त कालिदास द्वारा 'अभिज्ञानशाकुंतलम' में वर्णित शक्रावतार ही है।
- वर्तमान शक्रावतार या शुक्करताल[2] हरद्वार से दक्षिण में, गंगा तट पर स्थित है।[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वनपर्व महाभारत 84,29
- ↑ मुज़फ़्फ़रनगर ज़िला, उत्तर प्रदेश
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 886 |