दिवावृत का उल्लेख विष्णु पुराण[1] में हुआ है, जहाँ इसे क्रौंच द्वीप का एक पर्वत बताया गया है-
'क्रौंचश्चवामनश्चैव तृतीयश्चाधकारक: चतुर्थी रत्नशैलश्च स्वाहिनी हयसन्निभ:, दिवावृत्पंचमश्चात्र तथान्य: पुंडरीकवान् दुंदभिश्च महाशैलो द्विगुणास्ते परस्परम्।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 438 |
- ↑ विष्णु पुराण 2, 4, 51