नंदातीर्थ महाभारत के अनुसार हेमकूट पर्वत पर स्थित एक नदी का तटवर्ती तीर्थ स्थान है।
- यहाँ सदा अंधड़ चलता रहता है और वर्षा होती है।
- सदा वेदध्वनि सुनाई पड़ती है, किंतु वेद पढ़ने वाला कोई दिखाई नहीं देता।
- प्रात:काल और संध्या के समय यहाँ अग्निदेव के दर्शन होते हैं।
- मक्खियों के डर से यहाँ कोई भी तपस्या नहीं कर पाता।
- महाराज युधिष्ठिर अपने भाइयों सहित एक बार यहाँ आये थे।[1][2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत वनपर्व 110.01-21
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 257 |